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Marriage Anniversary Havan (विवाह की वर्षगाँठ)

विवाह की वर्षगाँठ

विवाह की वर्षगाँठ मनाना बड़ा महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक है। विवाह-संस्कार के समय एक-दूसरे को दिये गये आश्वासनों एवं प्रतिज्ञाओं को स्मरण करने तथा एक-दूसरे के अनुकूल बनने-बनाने, मित्र तथा सखा बनने-बनाने का बहुत ही सुन्दर अवसर है ।

यज्ञ विधि(Yagna Vidhi)-

इन दिनों पति-पत्नी स्नान आदि पश्चात् सुंदर वस्त्र धारण करके यज्ञवेदी में पूर्वाभिमुख बैठें। आचमन एवं अङ्गस्पर्श करके बड़ी श्रद्धा पूर्वक ईश्वरस्तुति- प्रार्थनोपासना का अर्थसहित उच्चारण करें। स्वस्तिवाचन, शांति-करण के पाठ के बाद अग्निधान वा हवन की विशेष विधि करके पूर्णाहुति से पूर्व इन मंत्रों का दोनों उच्चारण करके आहुति दे, एवं अर्थ भी सुनें,

1- ओ3म् समञ्जन्तु विश्वे देवाः समपो हृदयानि नौ। सं मातरिश्व सं धाता समुदेष्टी दधातु नौ ॥
ऋ0 10.85.46।।

अर्थ : हम दोनों (पति-पत्नी) निश्चयपूर्वक तथा प्रसन्नतापूर्वक घोषणा करते हैं कि हम दोनों के हृदय जल के समान सदा शान्त और मिले हुए रहेंगे। जैसे प्राणवायु हमको प्रिय है वैसे हम दोनों एक-दूसरे से सदा प्रसन्न एवं प्रिय रहेंगे । जैसे धारण करनेहारा परमात्मा सबमें मिला हुआ सब जगत् को धारण करता है, वैसे हम दोनों एक-दूसरे को धारण करते रहेंगे। जैसे उपदेश करनेहारा श्रोताओं से प्रीति करता है, वैसे हम दोनों का आत्मा एक-दूसरे के साथ दृढ़ प्रेम को धारण करे, प्रभु ऐसी कृपा करें ।

2 – ओ3म् मम व्रते ते हृदयं दधामि मम चित्तमनुचित्तं तेअस्तु।
मम वाचमेकमना ​​जुषस्व प्रजापतिष्ट्वा नियुनक्तु मह्यम्।। पार.1.8.8.

अर्थ : तुम्हारे हृदय, आत्मा और अन्तःकरण को धारण करते हुए अपने चित्त के अनुकूल सदा रखते हुए मैं तुम्हारे हृदय, आत्मा और अन्तःकरण को धारण करता हूं करती हूँ,
मेरे चित्त के अनुकूल तुम्हारा चित्त सदा बना रहे। मेरी वाणीको तुम एकाग्रचित्त होकर सदा सेवन किया करो। अर्थात् हम दोनों (पति-पत्नी) पूर्व की हुई प्रतिज्ञा के अनुकूल सदावर्ता करें जिससे हम सदा आनन्दित और कीर्तिमान्, पतिव्रता और पत्नीव्रत होके सभी प्रकार के व्यभिचार,अप्रिय भाषण आदि को छोड़ करके प्रीतियुक्त सदा बने रहें।

ओ3म् यदेतद् हृदयं तव तवस्तु हृदयं मम। यदिदं हृदयं मम तवस्तु हृदयं तव ॥ ब्रा.1.3.8.।

अर्थ : जो यह तुम्हारा आत्मा वा अन्तःकरण है वह मेरा आत्मा व अन्तःकरण के तुल्य सदा प्रिय हो और मेरा जो यह आत्मा, प्राण और मन है सो तुम्हारे आत्मा के तुल्य प्रिय सदा रहे अर्थात् पति-पत्नी के हृदय एक-दूसरे के सदा प्रिय बने रहें ।


– पूर्णाहुति के बाद यज्ञ-प्रार्थना और तत्पश्चात् इन मन्त्रों से तीन बार पुष्पवर्षा करके पति-पत्नी को आशिर्वाद देवें-

आशीर्वचन

ओम् सौभाग्यमस्तु।
ओम् शुभं भवतु॥
ओम् सौभाग्यमस्तु।
ओम् शुभं भवतु॥

ओम् स्वस्ति।
ओम् स्वस्ति।
ओम् स्वस्ति।

 

🙏 विवाह दिवस के हवन का सामान

1- देसी घी 500 ग्राम
2- जौ 100 ग्राम
3- काला तिल 100 ग्राम
4- गूगल 100 ग्राम
5- फल
6- फूल एवं 2 माला जो पति और पत्नी एक दूसरे को पहनाएंगे
7- मिठाई
8- एक सूखा नारियल ड्राई फूड वाला गोला पूर्णाहुति के लिए, एव एक जटा वाला नारियल जिसमें पानी हो,
9- धूपबत्ती, माचिस
10- कपूर,दही, शहद, आम का पत्ता

“घर का सामान”

1- चार कटोरी ,चार चम्मच
2- एक लोटा
3- चार प्लेट
4 -एक दीपक
5 – एक बड़ा कटोरा।
6 – माचिस।

1-हवन कुंड
2-समिधा
3-हवन सामग्री
4-रोली
5-मोली

 

हमारे संस्कार ही हमारी धरोहर है समस्त संस्कार एवं यज्ञ हेतु संपर्क करें- 9650024436

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