Book Annaprashan Ceremony Pandit Ji Vasundhara Ghaziabad
Annaprashan Ceremony (अन्नप्राशन संस्कार )
Choosing a lucky day, setting up the location, dressing the infant in customary clothes, and making a special first solid meal are all part of the preparations. Invoking deities, executing the Annaprashan vidhi, bestowing blessings and presents, and giving the infant their first solid meal are all part of the rites.
अन्नप्राशन कब करें!
अन्नप्राशन संस्कार तभी करे जब बालक की शक्ति अन्न पचाने योग्य होवे ।
इसमें आश्वलायन गृह्यसूत्र का प्रमाण है,
षष्ठे मास्यन्नप्राशनम् ॥1॥
घृतौदनं तेजस्कामः ॥2॥ दधिमधु- घृतमिश्रमन्नं प्राशयेत् ॥3॥
इसी प्रकार पारस्कर गृह्यह्यसूत्रादि में भी है। छठे महीने बालक को अन्नप्राशन करावे।
अन्नप्राशन विधि (Annaprashan vidhi)
जिसको तेजस्वी बालक/ बालिका करना हो, वह घृतयुक्त भात अथवा दही, शहद और घृत तीनों भात के साथ मिला के निम्नलिखित विधि से अन्नप्राशन करावे, अर्थात् ईश्वर स्तुति प्रार्थना उपासना के मंत्रों का पाठ एवं सम्पूर्ण विधि को करके जिस दिन बालक का जन्म हुआ हो उसी दिन यह संस्कार करे। और निम्न लिखे प्रमाणे भात सिद्ध करे-
ओम् प्राणाय त्वा जुष्टं प्रोक्षमि। ओम् अपानाय त्वा….।
ओम् चक्षुषे त्वा…।
ओम् श्रोत्रय त्वा…।
ओम् अग्नये स्विष्टकृते त्वा…॥
इन पांच मन्त्रों का यही अभिप्राय है कि चावलों को धो, शुद्ध करके अच्छे प्रकार बनाना और पकते हुए भात में यथायोग्य घृत भी डाल देवें । जब अच्छे प्रकार पक जावें, तब उतार थोड़े ठंडा पश्चात् होमस्थाली में-
ओम् प्राणाय त्वा जुष्टं निर्वपामि-१
ओम् अपानाय त्वा…। २
ओम् चक्षुषे त्वा…। ३
ओम् श्रोत्रय त्वा…। ४
ओम् अग्नये स्विष्टकृते त्वा..॥५
उपरोक्त पांच मंत्रों के कार्यकर्ता यजमान और पुरोहित अग्निधान, समिदाधानादि करके प्रथम आधारावाज्यभागाहुति 4, चार) और व्याहृति 4 (चार), मिल के 8 (आठ) घृत की आहुति देके, पुनः उसे पकाये हुए भात की आहुति निम्न मंत्रों से देवे –
दे॒वीं वाच॑मजनयन्त दे॒वस्तां विश्वरूपाः पश्वों वदन्ति।
सा नो॑ म॒न्द्रेषमूर्जे दुर्हाना धेनुर्वागस्मानुप सृष्टुतैतु स्वाहा॑ ।।
इदं वाचे-इदन्न मम ॥1॥
वाजों नोऽअद्य प्र सु॑वाती दानं वाजों दे॒वाँ ऋतुभि: कल्पयति।
वाजो हि मां सर्ववीरं जजान विश्वा आशा वाज॑पतिर्जयेयं स्वाहा ॥ इदं वाचे वाजय-इदन्न मम ॥2॥
एवं स्विष्टकृत् आहुति भी देवे ।
उसके बाद आहुति से बचे हुए भात में दही, मधु और उसमें घी यथायोग्य किचित् किचित् मिला के और मुगन्धियुक्त और भी चावल बनाये हुए थोड़े से मिला के बालक के रुचि प्रमाणे-
ओम् अन्न॑प॒तेऽन्न॑स्य नो देह्यनमीवस्य॑ शुष्मिण:। प्रप्र दातार तारिष ऊर्ज्जं नो धेहि द्विपदे चतु॑स्पदे ॥ यजुर्वेद.
इस मन्त्र को पढ़ के थोड़ा थोड़ा पूर्वोक्त भात बालक/बालिका के मुख में देवे। यथारुचि खिला बालक/बालिका का मुख घो और अपने हाथ धो के बालक के माता पिता और अन्य वृद्ध स्त्री-पुरुष आये हों, वे परमात्मा को प्रार्थना करके –
“त्वमन्नापतिरन्नादो वर्धमानो भूयाः ,
इस वाक्य से बालक/बालिका को आशीर्वाद देके ततपश्चात् संस्कार में आये हुए पुरुषों का सत्कार बालक का पिता और स्त्रियों का सत्कार बालक की माता करके सबको प्रसन्नतापूर्वक विदा करें।
अन्नप्राशन संस्कार सामग्री
हवन समग्री
1- देसी घी 500 ग्राम,
2- जौ100 ग्राम
3- काला तिल 100 ग्राम
4- गूगल 100 ग्राम
5- फल
6- फूल ,माला एवं खुले फुल आशीर्वाद हेतु
7- मिठाई या हलुआ
8- एक सूखा नारियल ड्राई फूड वाला गोला पूर्णाहुति के लिए, एव एक जटा वाला नारियल जिसमें पानी हो,
9- धूपबत्ती, माचिस
10- कपूर,, शहद, आम का पत्ता
घर का सामान
1- चार कटोरी ,चार चम्मच
2- एक लोटा
3- चार प्लेट
4 -एक दीपक
5 – एक बड़ा कटोरा।
6 – माचिस।
1-हवन कुंड
2-समिधा
3-हवन सामग्री
4-रोली
5-मोली